अकबर-बीरबल की कहानियां – Akbar-Birbal Stories in Hindi

अकबर बीरबल की कहानियां, Akbar Birbal Stories in Hindi – आज के इस आर्टिकल में हम अकबर और उनके चहेते मंत्री बीरबल की कुछ प्रसिद्ध शिक्षाप्रद कहानियां देंगे। जिसे पढ़कर आपको लगेगा वाकई बीरबल एक चतुर मंत्री थे और अकबर एक अच्छे शासक। जो बीरबल जैसे मंत्री का सही इस्तेमाल करना जानते थे।

आप अकबर बीरबल की इन कहानियों का प्रयोग प्रेरक प्रसंग के रूप में कर सकते हैं। यदि आप शिक्षक हैं तो आप बच्चों को प्रेरित करने के लिए अकबर बीरबल की कहानी सुना सकते हैं।

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छोटे बच्चे जो होते हैं न, उनको अकबर बीरबल की कहानियां पढ़कर बहुत आनंद आता है। चाचा चौधरी और साबू भी पसन्द आते हैं। और कॉमिक्स की तो क्या बात कहें। पर आजकल डोरेमोन, शिनचैन के युग में ऐसी कहानियां खो सी रही हैं। आइये पढ़ते हैं अकबर बीरबल की कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ। –

अकबर बीरबल की कहानियां
Akbar Birbal Story in Hindi

अकबर बीरबल की कहानियां || Akbar Birbal Stories in Hindi

मै बड़ा या इन्द्र – Akbar Birbal Story in Hindi

एक सुबह अकबर और बीरबल बगीचे में घूमने निकले घूमते हुए वे स्वर्ग – नर्क की बातें कर रहे थे । बातों ही बातों में स्वर्ग के राजा इन्द्र की बात चल पड़ी। 

अकबर ने बीरबल से पूछा , ” बीरबल ! राजा इन्द्र बड़ा है । या मैं ? जो सही बात हो वही कहना । “

बीरबल उलझन में पड़ गए । उन्होंने सोचा , ‘ यदि मैं इन्द्र को बड़ा कहूँगा तो बादशाह नाराज होंगे । यदि मैं बादशाह को बड़ा कहूँगा , तो वह प्रमाण माँगेंगे । मैं प्रमाण कहाँ से लाऊँगा ? ‘ 
बीरबल कुछ नहीं बोले । 

बादशाह अकबर ने उन्हें खामोश देखा तो ज़िद करने लगे । उन्होंने सोचा कि शायद बीरबल के पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं है ।

” बीरबल , कुछ भी करो , मुझे इस प्रश्न का उत्तर इसी वक्त चाहिए । “
 “ जहाँपनाह ! इन्द्र का और आपका क्या मुकाबला ? आप आप हैं , इन्द्र इन्द्र है । ” 
” नहीं – नहीं , मुझे यह गोलमोल जवाब नहीं चाहिए ।पर साफ – साफ बताओ कि मैं बड़ा हूँ या इन्द्र ? “

बीरबल ने एक गहरी साँस ली । फिर बोले , ” जहाँपनाह , इन्द्र से बड़े आप हैं । “
बादशाह मन ही मन बहुत खुश हुए , लेकिन इत से बीरबल को छुटकारा भला कहाँ मिलने वाला था । वहा हुआ जैसा बीरबल ने सोचा था ।

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बादशाह बोले , ” तुम मुझे इन्द्र से बड़ा कहते हो , इसका कोई प्रमाण है तुम्हारे पास ? ” 

बीरबल को तो मालूम ही था कि बादशाह प्रमाण माँगेंगे , अतः उन्होंने उत्तर दिया , ” जब ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की तब उन्होंने दो पुतले बनाए थे । एक आपका और एक इन्द्र का । दोनों को उन्होंने तराजू के एक – एक पलड़े में रखा । आप बड़े थे , इसलिए वजन में भारी थे । आपका पलड़ा नीचे आ गया ।

ब्रह्माजी ने आपको यहाँ का अर्थात् पृथ्वी का राज्य दिया । इन्द्र छोटे थे , इसलिए वह वजन में हल्के थे । उनका पलड़ा ऊपर उठ गया , इसलिए ब्रह्माजी ने उन्हें स्वर्ग का राज्य दिया । इस प्रकार ब्रह्माजी ने ही उस समय प्रमाणित कर दिया . था कि आप ही बड़े हैं । “

बीरबल का जवाब सुनकर अकबर हँसने लगे । उन्होंने कहा , ” वाह ! बीरबल , वाह ! तुम्हारी बराबरी कोई नहीं कर सकता । ” बीरबल मुस्करा कर रह गए। 

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अगर सभी बादशाह होते || Story Of Akbar And Birbal in Hindi

अकबर बीरबल से तरह – तरह के अजीबो – गरीब प्रश्न पूछा करते थे । कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पूछते थे ।

एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले , ” बीरबल ! इस दुनिया में कोई अमीर है , कोई गरीब है , ऐसा क्यों होता है ? जब सब लोग मह ईश्वर को परमपिता कहते हैं तो सभी उनके पुत्र ही हुए ।

पिता अपने बच्चों को हमेशा अच्छा और खुशहाल देखना चाहता है । फिर ईश्वर परमपिता होकर क्यों किसी को आराम का पुतला बनाता है और किसी को मुट्ठी भर अनाज के लिए दर दर भटकाता है ? आखिर उसने सभी को समान क्यों नहीं बनाया ? ” 

” आलमपनाह , अगर ईश्वर ऐसा न करे तो दुनिया की गाड़ी चल ही नहीं सकती । वैसे तो दुनिया में पाँच पिता कहे गए हैं । इस नाते आप भी अपनी प्रजा के पिता हैं । फिर आप किसी को हजार , किसी को पाँच सौ , किसी को पचास , तो किसी को सिर्फ पाँच – सात रुपये ही वेतन देते हैं । जबकि एक महीने तक आप सभी से सख्ती से पूरा काम लेते हैं । ऐसा क्यों ?

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सभी को एक ही नजर से क्यों नहीं देखते ? और फिर , अगर ईश्वर सभी को बादशाह बना देता तो सेवकों का काम कौन करता ? बीरबल कौन बनता ? “
 ‘ बादशाह कोई जवाब नहीं दे सके , उल्टे सोच में पड़ गए ।

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बेईमान काजी || अकबर बीरबल की कहानी

एक काजी था । जो अपने इलाके में बेहद ईमानदार समझा जाता था । 
उसके पड़ोस में एक गरीब नि : संतान विधवा रहती थी । उसका नाम फौजिया था । एक बार उसका मन किया कि हज कर आऊँ ।

यही सोचकर उसने घर का सारा कीमती सामान बेच दिया और नगदी में से कुछ अपने खर्चे के लिए रखकर बाकी बची हजार मोहरें उसने एक थैली में रखकर उस पर लाख की सील लगा दी।

और काजी के पास जाकर कहा , ” काजी साहब , आप बड़े ही ईमानदार आदमी हैं , यही सोचकर मैं आपके पास आई हूँ । दरअसल , मैं हज पर जाना चाहती हूँ , अत : मेरी ये थैली रख लें , इसमें हजार मोहरें हैं । मैं हज से वापस आकर अपनी अमानत ले लूँगी । “
काजी ने थैली रख ली । 
फौजिया चली गई । 

करीब दो साल बाद वह वापस आई और काजी से अपनी थैली ले ली ।
घर आकर उसने थैली खोलकर देखी तो घबरा गई । थैली में मोहरें की जगह लोहे की टिकलियाँ भरी थी।

वह फौरन काजी के पास गई और उसे सारी बात बताई । मगर काजी ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की और बोला , ” देखो बीबी ! तुम्हारी थैली में क्या था , क्या नहीं था , मुझे नहीं मालूम । मैंने तुम्हारी अमानत जस की तस रख दी थी और तुम्हारे वापस आने पर वैसे ही उठाकर तुम्हें दे दी । अब मुझे क्या पता उसमें क्या था और क्या नहीं था ? “

काजी की बात सुनकर फौजिया बीबी बहुत घबराई और गिड़गिड़ाने वाले अंदाज मे बोली , ” काजी साहब ! मैंने अपने हाथों से थैली में मोहरें रखी थीं । देखिए , मैं बहुत गरीब औरत हूँ ।

वे हजार मोहरें मेरी कुल जमा पूँजी थी । अपना बुढ़ापा उन्हीं के सहारे गुजारना है मैंने । सारी नहीं तो आधी तो कम से कम दे ही दें । मैंने तो आपको ईमानदार समझ कर अपनी धरोहर आपके पास रखी थी , मगर आप मुझ गरीब के साथ अन्याय कर रहे हैं । ” 

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” ऐ बुढ़िया ! फालतू बकवास मत कर और सीधी तरह यहाँ से चलती बन , वरना धक्के मारकर बाहर निकाल दूँगा । “

बुढ़िया रोने लगी । उसके जीवन की सारी पूँजी वही हजार मोहरें थी । उसने सोचा , यदि मोहरें न मिली तो उसका बुढ़ापा कटना मुश्किल हो जाएगा ।

अन्त में वह बीरबल के पास पहुंची और सारी बात बताई । बीरबल ने उसे आश्वासन देकर घर भेज दिया और थैली रख ली । दूसरे दिन बीरबल ने नगर के सभी रफूगरों को बुलाकर वह थैली उन्हें दिखाई । एक रफूगर बोला , ” यह थैली तो साल भर पहले मैंने ही रफू की थी । “
” कौन लाया था वह थैली तुम्हारे पास ? ” बीरबल पूछा । 

जी साहब समयद ” दुकानदार ने बताया ।
बीरबल ने उसी समय दो सिपाही काजी को लाने को ला भेजे । काजी आया और वहाँ मौजूद रफूगर को देखकर सारा माजरा समझ गया । अगले ही पल उसने जेब से मोहरों की थैली निकालयमबीरबल के कदमों में रख दी और क्षमा माँगने लगा । “

तुम क्षमा के काबिल नहीं हो काजी । तुम्हें तुम्हारे पद से तुरन्त हटाया जाता है । जो खुद बेईमान हो , वह दूसरों का इंसाफ क्या करेगा । 
 अपना धन वापस पाकर बुढ़िया बेहद खुश हुई और बीरबल को दुआएँ देने लगी ।

दरअसल , काजी ने नीचे से थैली काटकर मोहरें निकाल ली थीं और उसमें लोहे की टिकली भरकर नीचे से रफू करवा दिया था । हालांकि रफू बड़ी बारीकी से किया गया था , मगर बीरबल की पैनी नजरों से वह बच नहीं सका था।

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