रक्त परिसंचरण तंत्र – Circulatory System in Hindi

Blood Circulatory system in Hindi यानी कि रक्त परिसंचरण तंत्र की बात इस आर्टिकल में की जाएगी और हृदय (Heart) तथा फेफड़े (Lungs) का role आपको बताया जाएगा। शुद्ध रक्त कहाँ बहता है, शुद्ध रक्त (Pure Blood) कहाँ होता है, अशुद्ध रक्त (Impure Blood) का शुद्धिकरण (Purification) कैसे होता है आदि Topics पर हम यहाँ बात करेंगे।

रक्त परिसंचरण तंत्र | Blood Circulatory System in Hindi

रक्त परिसंचरण तंत्र Blood circulatory system

उपरोक्त चित्र के माध्यम से हम आज रक्त परिसंचरण तंत्र या रुधिर परिसंचरण तंत्र को समझेंगे। आइये सबसे पहले हम हृदय (Heart) को समझते हैं।

हृदय (Heart) की संरचना व कार्य

सबसे पहले तो आपको ये समझना होगा कि हृदय वास्तव में स्टीकर वाले दिल ♥️ जैसा नही होता है, यह केवल बाह्य संरचना के आधार पर बनाया गया स्टीकर है।

वास्तव में हृदय उपरोक्त चित्र की भाँति होता है। तो आइए समझते हैं मानव हृदय की आंतरिक संरचना को ( Internal Structure of Human Heart).

तो अगर आप अपने mobile की जगह आ जाएंगे तो आपका जो लेफ्ट साइड था वो आपका राइट साइड हो जाएगा। ध्यान से समझियेगा। क्योंकि यहाँ हम हृदय की संरचना का अध्ययन करने जा रहे हैं तो आप समझिये कि सामने कोई आदमी है जो आपकी ओर चेहरा किये हुए है और वह आदमी हृदय है। ठीक है मैं मान के चल रहा हूँ कि आपने इतना imagine कर लिया है। देखिये रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory system in hindi) को समझने के लिए हृदय की संरचना समझना बहुत ज़रूरी है। तो आप सामने हृदय को देखिए। आपको अब अपना लेफ्ट राइट नही देखना है। सामने जो है उसका लेफ्ट राइट देखना है।

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हृदय चार खंडों में बंटा हुआ है ये चार खंड आलिंद और निलय हैं। ऊपर के 2 भाग आलिंद व नीचे के 2 भाग निलय कहलाते हैं।

दाहिना आलिंद और निलय के बीच तीन द्वार हैं इन्हें कपाट भी कहते हैं जो वॉल्व की सहायता से खुलते हैं। तो इन तीन कपाट को त्रिवलिनी कपाट कहते हैं। ऐसे ही बाएं आलिंद औए निलय के बीच 2 कपाट हैं और इनको द्विवलिनी कपाट कहते हैं।

आइये अब आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं धमनी और शिरा की। तो अब सबसे पहले एक शब्द याद कर लीजिए धांशू ।इसको याद करवाने के पीछे इरादा यह है कि धमनी में शुद्ध रक्त बहता है। तो धांशू में ध से हुआ धमनी और शु से हुआ शुद्ध। तो इससे ध्यान रहेगा कि धमनी में शुद्ध रक्त बहता है और शिरा में अशुद्ध रक्त बहता है। और आपको एक टर्म सुनने को या पढ़ने को मिलता है पल्मोनरी धमनी और पल्मोनरी शिरा। तो धमनी में अगर शुद्ध बहता है तो पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रक्त बहता है। ठीक इसी प्रकार शिरा में अगर अशुद्ध रक्त बहता है तो पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रक्त।

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शुद्ध रक्त से अभिप्राय है ऐसा खून जिसमे ऑक्सीजन हो। oxyegenated blood ही शुद्ध होता है।

और जहाँ-जहाँ पल्मोनरी शब्द आये समझ जाइये फेफड़ा शब्द भी वहाँ मिलेगा। क्योंकि फेफड़े से ही पल्मोनरी धमनी और पल्मोनरी शिराएं जुड़ी रहती हैं।

तो ये हुई मानव हृदय की संरचना (Structure of Human heart). आइये इसका कार्य भी जान लेते हैं।

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मानव हृदय का कार्य

हृदय का सिर्फ एक मुख्य कार्य है वह है blood pumping अर्थात रक्त को धक्का देना।

तो आइए अब जानते हैं पूरे रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory system) के बारे में।

शिराएं अशुद्ध रक्त दाएं आलिंद में लाती हैं।

फिर वह रक्त त्रिवलिनी कपाट से दाएं निलय में जाता है।

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उसके बाद वही अशुद्ध रक्त पल्मोनरी धमनी की सहायता से फेफड़े में शुद्ध होने के लिए अर्थात Purification के लिए जाता है।

क्योंकि फेफड़े में ऑक्सीजन आती है। तो वह रक्त को शुद्ध करती है।

अब यह शुद्ध रक्त पल्मोनरी शिरा की सहायता से दाएं आलिंद में जाता है।

फिर द्विवलिनी कपाट से दाएं निलय में आता है।

फिर धमनी की सहायता से पूरे शरीर मे शुद्ध रक्त बहता है।

रक्त परिसंचरण तंत्र प्रश्न

आइये कुछ मुख्य बिंदु दोहरा लेते हैं।

  • धमनी व पल्मोनरी शिरा में शुद्ध रक्त बहता है।
  • शिरा व पल्मोनरी धमनी में अशुद्ध रक्त बहता है।
  • हृदय का मुख्य कार्य blood pump करना है।
  • फेफड़े में रक्त शुद्ध होता है।
  • शुद्ध रक्त को ही ऑक्सिजनेटेड ब्लड कहते हैं जबकि अशुद्ध रक्त को डिऑक्सिजनेटेड।

तो दोस्तों उम्मीद करते हैं आपको ये टॉपिक पसन्द आया होगा और समझ आया होगा। अगर ये आपको अच्छा लगा तो शेयर कर दीजिए।

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